नई दिल्ली, 24 जुलाई (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी के एक अस्पताल में उज्बेकिस्तान की एक महिला को नया जीवन मिला है। चलने-फिरने में लाचार महिला अब न सिर्फ अपने पैरों पर खड़ा हो सकती है, बल्कि चल-फिर भी सकती है।
चार साल पहले एक दुर्घटना में उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में रहने वाली कवलायनोवा उगल (34) की जांघ की हड्डी टूट गई थी, जो लाख कोशिशों के बाद भी नहीं जुड़ पाई। मॉर्बिड मोटापे (130 किलोग्राम) से ग्रस्त महिला को इस दौरान सारा समय बिस्तर पर ही गुजारना पड़ा।
लेकिन यहां स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के चिकित्सकों का धन्यवाद, जिनके चार घंटे लंबे चले सफल ऑपरेशन के बाद उगल आज न सिर्फ अपने पैरों पर खड़ा होने, बल्कि टहलने के लिए भी तैयार हैं।
अपोलो अस्पताल द्वारा जारी एक बयान में उगल ने कहा, “बीते चार सालों के दौरान जीवन बेहद कष्टमय हो गया था। मैं नई दिल्ली के चिकित्सकों को धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने मेरे अंदर सामान्य और स्वस्थ जीवन जीने की नई आशा जगाई है।”
उगल की बाएं जांघ की हड्डी (फीमर) टूटने के बाद किसी कारण से नहीं जुड़ पा रही थी।
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.राजीव शर्मा के नेतृत्व में चिकित्सकों के एक दल ने उनकी जांघ की हड्डी का जटिल ऑपरेशन किया।
सबसे बड़ी समस्या उनका वजन था। उनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 60 था और वे मॉर्बिड मोटापे से ग्रस्त थीं।
30 से अधिक बीएमआई को मोटापा तथा 40 से अधिक को मॉर्बिड मोटापा कहा जाता है।
डॉ.शर्मा ने कहा, “मरीज का मामला बेहद जटिल था। एक गंभीर हादसे में उनके बाएं जांघ की हड्डी घुटने से ठीक ऊपर टूट गई थी। वह दो भागों में हो गई थी और काफी समय बाद भी नहीं जुड़ पाई।”
इस ऑपरेशन को 14 इंच के एक विशेष टाइटेनियम लॉकिंग प्लेट की मदद से अंजाम दिया गया।
शर्मा ने कहा, “यह एक जटिल ऑपरेशन था, जो चार घंटे तक चला। 60 बीएमआई के किसी मरीज का सफल ऑपरेशन बेहद दुर्लभ है।”