भोपाल, 14 (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश की धार्मिक नगर उज्जैन में अप्रैल-मई में होने वाले धार्मिक आयोजन ‘सिंहस्थ कुंभ’ से पहले कांग्रेस 26 फरवरी को ‘दलित कुंभ’ करने जा रही है। इस आयोजन में पार्टी के दलित नेताओं के अलावा चिंतकों-विचारकों को बुलाया जा रहा है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भी लाने के प्रयास चल रहे हैं।
भोपाल, 14 (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश की धार्मिक नगर उज्जैन में अप्रैल-मई में होने वाले धार्मिक आयोजन ‘सिंहस्थ कुंभ’ से पहले कांग्रेस 26 फरवरी को ‘दलित कुंभ’ करने जा रही है। इस आयोजन में पार्टी के दलित नेताओं के अलावा चिंतकों-विचारकों को बुलाया जा रहा है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भी लाने के प्रयास चल रहे हैं।
हैदराबाद में एक दलित छात्र द्वारा आत्महत्या किए जाने के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर दलितों के बीच अपनी पैठ बनाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। राहुल गांधी भी दो बार हैदराबाद जा चुके हैं, साथ ही पार्टी ने भी दलितों के बीच सक्रियता बढ़ा दी है।
कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि एक दिन के इस सम्मेलन में प्रदेश भर से एक हजार से ज्यादा लोग जुटने वाले हैं। इस आयोजन में कांग्रेस के वरिष्ठ दलित नेता और पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस सम्मेलन में वह ‘अम्बेडकर विजन एंड कांग्रेस मिशन’ विषय पर व्याख्यान देंगे।
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरुण यादव ने आईएएनएस को बताया कि संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में दलित सम्मेलन बुलाया गया है। इस सम्मेलन में दलित प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष के. राजू भी मौजूद रहेंगे।
उज्जैन के पूर्व सांसद प्रेमचंद्र गुड्डू ने बताया कि इस सम्मेलन में पूरे प्रदेश से एक हजार से ज्यादा लोगों को बुलाया गया है। इस दौरान अम्बेडकर के विचार और दलित की स्थिति पर भी चर्चा होगी। यह सम्मेलन किस स्थान पर होगा, इसका चयन नहीं हो पाया है। एक स्थान का चयन किया था, मगर अंतिम रूप से तय नहीं हो पाया है।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, इस सम्मेलन में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को बुलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता चाहते हैं कि दलितों के इस सम्मेलन में राहुल गांधी भी पहुंचें।
राजनीति के जानकारों की मानें तो राज्य में दलितों के बीच कांग्रेस का जनाधार लगातार कम होता जा रहा है, इससे पार्टी नेतृत्व चिंतित है। मगर उसे इस बात का अब भी भरोसा है कि अगर कोशिश की जाए तो खोया हुआ जनाधार पाया जा सकता है। इसी को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने देश के अन्य हिस्सों के साथ मध्यप्रदेश में दलितों के बीच पैठ बढ़ने के प्रयास तेज किए हैं।