बेंगलुरू, 12 अक्टूबर –ऑनलाइन शॉपिंग (ई-टेल) के बढ़ते चलन के ऑफलाइन रिटेल कारोबार पर हो रहे नकारात्मक असर से रिटेल कारोबारी आक्रोषित हैं।
फ्लिपकार्ट, स्नैपडील और अमेजन जैसे ई-टेल कंपनियां जहां विभिन्न उत्पादों पर भारी छूट दे रही हैं, वहीं पारंपरिक रिटेल कारोबारी अनुचित प्रतियोगिता और असमानता का मुद्दा उठा रहे हैं।
एक प्रमुख उपभोक्ता उत्पाद शोरूम के एक प्रबंधक ने यहां आईएएनएस से कहा, “बिक्री बढ़ाने की उनकी (ई-टेलर) आपसी प्रतियोगिता से हमारा कारोबार प्रभावित हो रहा है। हमारे ग्राहकों की संख्या उतनी भी नहीं हो पा रही है, जितने गत वर्ष थी। हमारी बिक्री पर बहुत बुरा असर पड़ा है, क्योंकि जागरूक ग्राहक ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं, जहां कीमतें हमारे द्वारा दी जा रही कीमतों से कम हैं।”
अभी रिटेल क्षेत्र का सालाना कारोबार हालांकि 25 अरब डॉलर का और ई-टेल का तीन अरब डॉलर का है, फिर भी रिटेल कारोबारियों को ई-टेल के उभार की तपिश महसूस हो रही है।
प्रबंधक ने कहा, “ई-टेलरों को बिक्री पर मूल्य संवर्धित कर (वैट) नहीं देना होता है, क्योंकि उनका दावा है कि वे सिर्फ फैक्ट्री से उपभोक्ता तक माल पहुंचाने का काम करते हैं।”
उल्लेखनीय है कि फ्लिपकार्ट ने छह अगस्त को कई उत्पादों पर भारी छूट दी थी। इसके बाद ग्राहकों की संख्या में भारी वृद्धि हो जाने के बाद कंपनी का वेबसाइट अवरुद्ध हो गया था।
सरकार तक शिकायत पहुंचने के बाद वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री निर्मला सीतारमन ने आठ अक्टूबर को कहा था कि उनका मंत्रालय इस मामले को देखेगा।
फ्लिपकार्ट की प्रतियोगी कंपनी स्नैपडील ने भी उन्हीं दिनों अपनी वेबसाइट पर कई उत्पादों में भारी छूट दी थी।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने वाणिज्य मंत्रालय से ई-टेल क्षेत्र को नियमित करने की मांग की।
एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) के एक सर्वेक्षण के मुताबिक दिवाली के मौके पर ऑनलाइन खरीदारी 350 फीसदी बढ़ सकती है और इसके कारण चेन्नई के शॉपिंग मॉलों में ग्राहकों की संख्या 46 फीसदी तक घट सकती है।
सर्वेक्षण में यह भी सामने आया है कि अगस्त और सितंबर में ई-कॉमर्स का कारोबार साल दर साल आधार पर 200 फीसदी बढ़ा है, जो गत वर्ष 120 फीसदी बढ़ा था।
ई-कॉमर्स का अपने कारोबार पर हो रहे नकारात्मक असर को देखते हुए कई डीलर और व्यापारियों ने हाल में राज्य सरकार से अपील की है कि ई-टेल कंपनियों को वैट के दायरे में लाया जाए और कारोबारी अवसर की समानता सुनिश्चित की जाए।