वाशिंगटन, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। ईरान के विवादित परमाणु कार्यक्रम पर एक व्यापक समझौते की रूपरेखा पर बनी सहमति के एक दिन बाद शुक्रवार को अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन ने तीन महीनों के अंदर अंतिम समझौते तक पहुंचने की उम्मीद जताई।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता एरिक शुल्त्ज ने संवाददाताओं से कहा, “मुझे लगता है कि अभी बहुत सारा काम बाकी है, लेकिन हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि अंतिम समझौते तक पहुंचेंगे।”
पी5 प्लस1 समूह (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन व जर्मनी) के विदेश मंत्रियों के बीच गुरुवार को ईरान के विवादित परमाणु कार्यक्रम से संबंधित बड़े मुद्दों के समाधान के मानकों पर सहमति बनी। यह सहमति स्विट्जरलैंड के शहर लुसाने में आठ दिनों तक चली गहन वार्ता के बाद बन पाई। अब जून के आखिर तक समझौते को अंतिम रूप दिया जाना है।
समझौते की रूपरेखा पर बनी सहमति के तहत ईरान अपनी परमाणु गतिविधियों को सीमित करने तथा परमाणु संयंत्रों के नियमित निरीक्षण के लिए सहमत हो गया है। इसके बदले में अमेरिका तथा यूरोपीय संघ ईरान की अर्थव्यवस्था पर लगे प्रतिबंधों को हटा लेंगे। साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा ईरान के खिलाफ मंजूर प्रस्तावों को भी हटाया जाएगा।
ओबामा ने समझौते की रूपरेखा को बेहतर बताया और कहा कि इससे अमेरिका के मूल उद्देश्य पूरे होंगे और ईरान परमाणु हथियार विकसित नहीं कर पाएगा।
वहीं, ईरान के साथ समझौता वार्ता का घोर विरोध करने वाले इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू ने गुरुवार को ओबामा से टेलीफोन पर बातचीत में कहा कि समझौते की जिस रूपरेखा पर सहमति बनी है, वह इजरायल के साथ-साथ क्षेत्र और पूरी दुनिया के लिए भी गंभीर खतरा है। इससे इजरायल के अस्तित्व पर खतरा होगा।
नेतन्याहू ने शुक्रवार को कहा, “इजरायल की मांग है कि ईरान के साथ किसी भी अंतिम समझौते में इजरायल के अस्तित्व के अधिकार को लेकर ईरान की स्पष्ट प्रतिबद्धता शामिल हो।”
शुल्त्ज ने कहा, “मैंने उनकी अपील नहीं देखी है। हम उनकी चिंता को समझते हैं और राष्ट्रपति ऐसे किसी समझौते पर कभी हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जो इजरायल के अस्तित्व को खतरे में डालता हो।”