मध्यप्रदेश में इस साल 2013-14 में समर्थन मूल्य पर गेहूँ के उपार्जन कार्य के लिये लगभग 22,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की जा रही है। किसानों को उनकी फसल के मूल्य के भुगतान में कोई परेशानी न हो, इसके लिये भी पर्याप्त धनराशि रखी गई है। गेहूँ उपार्जन के अनुमानित लक्ष्य 110 लाख मीट्रिक टन को ध्यान में रखते हुए अकेले बोनस राशि के लिये 1050 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। गेहूँ खरीदी के पहले चरण में अब तक चार संभाग में एक लाख 9 हजार मीट्रिक तक गेहूँ की खरीदी की जा चुकी है।
प्रदेश में चालू रबी विपणन वर्ष में 110 लाख मीट्रिक टन गेहूँ खरीदी का अनुमान है। यह खरीदी प्रदेशभर में स्थापित 2847 खरीदी केन्द्र के माध्यम से की जायेगी। केन्द्रों की यह संख्या गत वर्ष की तुलना में 531 अधिक है। रबी विपणन वर्ष 2012-13 से प्रारंभ हुए ई-उपार्जन के अंतर्गत समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न उपार्जन के लिये सम्पूर्ण व्यवस्था का कम्प्यूटराइजेशन करवाया गया है। किसानों से सुविधाजनक तथा पारदर्शी व्यवस्था के अंतर्गत गेहूँ का उपार्जन करने के लिये एस.एम.एस. अलर्ट सुविधा का प्रावधान कर कार्य को और बेहतर स्वरूप देने के प्रयास किये गये हैं। इस साल अभी तक लगभग 14 लाख 33 हजार किसान ने अपना पंजीयन करवाया है।
गेहूँ खरीदी के अनुमान को दृष्टिगत रखते हुए बारदानों की व्यवस्था का काम योजनाबद्ध तरीके से प्रारंभ किया गया था, ताकि प्रत्येक उपार्जन केन्द्र पर बारदानों की पर्याप्त उपलब्धता खरीदी के दौरान बनी रहे। अब तक कुल 5 लाख गठान उपलब्ध हो चुकी हैं, जिससे लगभग 110 लाख मीट्रिक टन गेहूँ की खरीदी की जा सकती है। इस वर्ष गेहूँ के विक्रय में बारदाना इत्यादि को लेकर कोई अवरोध उत्पन्न न हो, ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
बेहतर परिवहन और मॉनीटरिंग के लिये गेहूँ उपार्जन बहुल जिलों को सेक्टरों में विभाजित किया गया है। स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन को 23 जिलों में तथा मार्कफेड को 27 जिलों में गेहूँ के उपार्जन की एजेंसी बनाया गया है। कार्पोरेशन के 23 जिलों में 73 सेक्टर बनाये गये हैं। इसी प्रकार विपणन संघ के 27 जिलों के लिये 45 सेक्टर बनाये गये हैं। प्रत्येक सेक्टर में पृथक-पृथक परिवहनकर्ता नियुक्त किये गये हैं। एक परिवहनकर्ता को अधिकतम दो सेक्टर का ही कार्य दिया गया है। प्रत्येक रेलवे रेक पाइंट पर एक परिवहनकर्ता की नियुक्ति की गई है।
बेहतर और अनुभवी परिवहनकर्ता नियुक्त करने के उद्देश्य से टेण्डर की शर्तों में विशेष प्रावधान किये गये हैं। इनमें वाहनों का फिटनेस प्रमाण-पत्र अनिवार्य किया जाना, कार्य का अनुभव एक वर्ष तथा बैंक साल्वेंसी प्रत्येक कार्य के लिये 10 लाख रुपये की अनिवार्यता की गई है। इसके अतिरिक्त उपार्जन कार्य के लिये आवश्यक ट्रकों की सूची अनुबंध के समय प्रस्तुत करना अनिवार्य करने के साथ ही परिवहन में विलम्ब होने की दशा में 2 रुपये प्रति क्विंटल प्रतिदिन का दण्डात्मक प्रावधान किया गया है। उपार्जन के दौरान आने वाली कठिनाइयों के निराकरण के लिये शासन स्तर पर दो टोल-फ्री दूरभाष क्रमांक 155343 एवं 18002335343 स्थापित किये गये हैं।