नई दिल्ली, 18 अक्टूबर –चीन निर्मित आकर्षक व पॉकेट में रखी जा सकने वाली मूर्तियां जो भारत में त्योहारों के दौरान हाथों-हाथ बिक जाती हैं, उसकी मांग में इस बार कमी आई है। इसकी मुख्य वजह यह है कि स्थानीय मूर्तिकार उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। दिल्ली के सदर बाजार के थोक व्यापारियों के अनुसार, स्थानीय उत्पादक लक्ष्मी-गणेश की अच्छी दिखने वाली मूर्तियां डिजाइन कर रहे हैं।
मूर्तियों की दुकान, आर्ट्स एंड सोल के मालिक तरुण कथूरिया ने आईएएनएस को बताया, “बेशक, चीन निर्मित भारतीय देवी-देवताओं की मूर्तियों में अच्छी नक्काशी होती है, और भारतीय मूर्तियों से सस्ती होती हैं। लेकिन दिवाली के वक्त ग्राहक ऐसी मूर्तियां चाहते हैं, जिन्हें सजावट के काम में भी उपयोग में लाया जा सके। मगर चीनी मूर्तियां लंबे वक्त तक नहीं टिक पातीं।”
उन्होंने कहा कि चीनी मूर्तियों के लिए दिवाली से चार महीने पहले आर्डर देना होता है, लेकिन सीमा व उत्पाद शुल्क के झंझटों की वजह से वह स्थानीय मूíतयां ही बेच रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी भारत में चीनी उत्पाद पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
भागवत ने संगठन के 89वें स्थापना दिवस पर नागपुर में कहा था, “हम अपने देवी और देवताओं की मूर्तियां व अन्य उत्पाद भी चीन से खरीद रहे हैं, जिस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।”
सच्चाई भी यह है कि चीनी मूर्तियां पहले की तरह नहीं रही हैं।
दिल्ली के गोयल नॉवेल्टीज की शकुन गोयल ने आईएएनएस को बताया, “एक समय था जब चीन निर्मित मूर्तियां बाजार पर प्रभुत्व बनाए हुए थीं। लेकिन अब वह स्थिति नहीं रही। भारतीय मूर्तिकारों ने चीनी तकनीक सीखा और अपनाया है।”
व्यापारी इस बात पर भी जोर देते हैं कि कई ग्राहक खरीदे हुए माल को वापस कर देते हैं।
गोयल ने कहा, “अगर मूर्तियां क्षतिग्रस्त हो गईं तो हम उन्हें वापस नहीं कर सकते। यह हमारे लिए समस्या खड़ी करता है। लेकिन ये चीजें स्थानीय उत्पादों के साथ नहीं है।”
बाजार में गणेश व लक्ष्मी की मूर्तियां 40 रुपये से लेकर 10,000 रुपये में बिक रही हैं।
एक ग्राहक ब्रजेश परमार ने कहा, “यदि मूर्तियां टिकाऊं नहीं हैं तो उनके पानी से प्रभावित न होने के गुणा का कोई महत्व नहीं है। हालांकि, चीन द्वारा बनाई गई मूर्तियों की नक्काशी अच्छी होती है, दुकानदार को यह समझना चाहिए कि दिवाली के लिए लाई गईं मूर्तियां विसर्जन के लिए नहीं बल्कि घर में रखने के लिए ली जाती हैं।”
शादी के बाद पहली दिवाली मना रही भारती कहती हैं, “जब भारतीय मूर्तिकार हमारे सौंदर्य शास्त्र के अनुकूल और पर्यावरण अनुकूल मूर्तियां बना रहे हैं, तो फिर बाहरी सामान खरीदने का क्या मतलब है।”
बाजार में गणेश, लक्ष्मी की मूर्तियों के अलावा चीन निर्मित आतिशबाजी, रोशनी और खिलौनों की भी बाढ़ आई हुई है। हालाांकि, हाल के समय में भारत सरकार ने चीनी पटाखों पर प्रतिबंध लगाया है।