नई दिल्ली, 11 फरवरी (आईएएनएस)। कांग्रेस ने सरकारी गवाह बन चुके पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली के बयान के आधार पर ‘फर्जी’ इशरत जहां मुठभेड़ मामले को सही ठहराने की कोशिशों पर सवाल खड़े किए और कहा कि यह ‘कानूनन सही नहीं’ था।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा, “मूलभूत सवाल अभी भी वही बना हुआ है कि क्या इशरत जहां और उनके तीन साथियों को 2004 में फर्जी मुठभेड़ में मारा गया। मामले में हुई जांच में मुठभेड़ फर्जी पाया गया था।”
मुंब्रा के खालसा विद्यालय में पढ़ने वाली 19 वर्षीय इशरत के साथ केरल के जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लई और दो संदिग्ध पाकिस्तानी नागरिकों जीशान जौहर और अमजद अली राणा को 15 जून, 2014 को अहमदाबाद के सुदूरवर्ती इलाके में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश करने के आरोप में पुलिस ने मार गिराया था।
तिवारी ने कहा, “इस मुठभेड़ को लेकर दो सवाल हैं। पहला कि क्या इशरत जहां और उसके साथी लश्कर ए तैयबा के सदस्य थे या नहीं? हेडली के बयान के आधार पर यदि सरकार फिर से मामले की जांच करवाना चाहती है तो उन्हें कौन रोक रहा है।”
कांग्रेस नेता ने कहा, “लेकिन मूलभूत सवाल फिर भी वही बना रहेगा कि इशरत जहां और उसके साथियों को फर्जी मुठभेड़ में मारा गया या नहीं?”
मनीष तिवारी ने कहा कि अहमदाबाद की महानगर दंडाधिकारी की अदालत ने अपने फैसले में इसे ‘नियोजित या फर्जी मुठभेड़’ का मामला बताया।
इसके बाद जब मामला गुजरात उच्च न्यायालय में गया और उच्च न्यायालय की निगरानी में दो वर्ष तक मामले की जांच चली।
तिवारी ने कहा कि मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने से पहले उच्च न्यायालय ने भी अपने फैसले में कहा कि यह ‘और कुछ नहीं बल्कि फर्जी मुठभेड़ थी’।
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने अदालत में पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप-पत्र भी दाखिल किए।
तिवारी ने कहा, “इसलिए मौजूदा भाजपा सरकार यदि हेडली के बयान के आधार पर इस फर्जी मुठभेड़ को सही ठहराने की कोशिश कर रही है तो मुझे डर है कि न तो कानून और न ही न्यायपालिका इसकी इजाजत देगा।”
उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति आतंकवादी है तो भी पहले उसे गिरफ्तार कर अदालत के समक्ष पेश किया जाना चाहिए, जैसा कि संसद पर हमला करने वाले अफजल गुरु के साथ किया गया।
लेकिन मुझे नहीं लगता कि न्यायालय की जांच में फर्जी ठहरा दिए गए मुठभेड़ को सही ठहराने या उस पर फिर से सुनवाई की कानून इजाजत नहीं देता।
उल्लेखनीय है कि हेडली ने गुरुवार को अदालत में दिए बयान में कहा कि इशरत जहां लश्कर की महिला इकाई की सदस्य थी।