जेनेवा, 28 जनवरी (आईएएनएस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि इबोला वायरस की चपेट में आने से मरने वालों की संख्या 8795 हो चुकी है।
जेनेवा, 28 जनवरी (आईएएनएस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि इबोला वायरस की चपेट में आने से मरने वालों की संख्या 8795 हो चुकी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा है कि इबोला वायरस से ग्रसित होने के कुल 22,057 मामले सामने आ चुके हैं।
इबोला से सबसे ज्यादा मौत लाइबेरिया में दर्ज की गई है। इस देश में मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है और अभी तक कुल 3,686 मौतें हो चुकी हैं जबकि संक्रमित होने वालों की संख्या बढ़ते क्रम में है और अभी तक संक्रमित मामलों की दर्ज संख्या 8,622 है। लाइबेरिया के बाद सिएरा लिओन (3199 मौतें और 10,518 पीड़ित) का और गुएना (1910 मौतें और 2917 पीड़ित) का स्थान है।
इससे अलग माली, नाइजीरिया, सेनेगल, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका में भी अलग से मामले दर्ज हुए हैं।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इबोला बीमारी को पूर्व में इबोला रक्तस्रावी बुखार के नाम से जाना जाता था। यह मनुष्यों में गंभीर बीमारी है और अक्सर जानलेवा होता है। लोगों में इस बीमारी का वायरस जंगली जानवर से आता है और मनुष्य से मनुष्य में इसके वायरस का प्रसार संभव है। इबोला मौत मामले का औसत दर करीब 50 प्रतिशत है।
इबोला वायरस रोग का सबसे पहला प्रसार मध्य अफ्रीका के एक सुदूरवर्ती गांव में हुआ। यह गांव उष्णकटिबंधीय वर्षा वन के समीप है। पश्चिम अफ्रीका में अभी हाल ही में हुए प्रसार की चपेट में बड़े शहर और ग्रामीण इलाके आए हैं।
इस बीमारी में शुरुआती देखभाल में पुनर्जलयोजन और लाक्षणात्मक चिकित्सा है जिससे जीवित रहने का दर सुधर सकता है।
कोई भी लाइसेंसी इलाज अभी तक वायरस को निष्क्रिय करने में समर्थ साबित नहीं हो पाया है, लेकिन अधिसंख्य रक्त, प्रतिरक्षक और औषधि चिकित्सा अभी विकसित होनी शेष है। अभी तक इबोला प्रतिरक्षण सूई का विकास नहीं हो पाया है, लेकिन दो दावेदारों का मूल्यांकन किया जा रहा है।