इंदौर, 12 नवंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के करीबी कस्बे गौतमपुरा में वर्षो से चली आ रही परंपरा के मुताबिक, दिवाली के अगले दिन होने वाला हिंगोट युद्ध गुरुवार को हुआ। दो दलों के बीच चले हिंगोट (आग के गोले) की चपेट में आए 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
गौतमपुरा के हिंगोट मैदान में गुरुवार को बड़ी संख्या में लोग जमा हुए। वहीं मैदान के भीतर दो दल युद्ध करने के लिए मौजूद थे, जिन्हें तुर्रा और कलंगी नाम दिया जाता है। इन प्रतियोगियों के हाथ में सुरक्षा के लिए ढाल थी तो दर्शकों की सुरक्षा के लिए मैदान के चारों ओर जाली लगाई गई थी।
परंपरा के मुताबिक, हिंगोट युद्ध की शुरुआत होते ही दोनों ओर से हवाओं में हिंगोट छोड़े गए। कुछ ही देर में गौतमपुरा का आकाश आग के गोलों से भर गया। ये हिंगोट हवा में ठीक वैसे ही लंबाई में चलते हैं, जैसे राकेट ऊंचाई पर जाते हैं। हिंगोट से कई प्रतिभागियों को चोटें आई हैं।
देपालपुर के अनुविभागीय अधिकारी, पुलिस (एसडीओ,पी) अनिल सिंह राठौर ने आईएएनएस को बताया कि हिंगोट युद्ध में घायल हुए 25 से ज्यादा लोगों का चिकित्सकों ने इलाज किया, एक गंभीर रूप से घायल हुआ, जिसे उपचार के लिए इंदौर भेजा गया है। कई अन्य को खरोंचें आई हैं। वहीं आयोजन स्थल पर मौजूद लोगों का कहना है कि 50 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।
हिंगोट युद्ध में हमलों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ‘हिंगोट’ एक खास फल से तैयार किया जाता है। हिंगोट नारियल जैसा होता है। इसका बाहरी आवरण कठोर होता है, मगर भीतर गूदा रहता है।
खासियत यह है कि हिंगोट फल सिर्फ देपालपुर इलाके में ही होता है। हिंगोट को हथियार बनाने के लिए फल को अंदर से खोखला कर दिया जाता है, फिर कई दिनों तक इसे सुखाया जाता है। इस फल के पूरी तरह सूखने के बाद इसके भीतर बारूद भरी जाती है। इसमें एक ओर लकड़ी लगा दी जाती है। युद्ध के दौरान जब इस फल के एक हिस्से में आग लगाई जाती है तो वह ठीक राकेट की तरह उड़ता हुआ दूसरे दल के सदस्यों को आघात पहुंचता है।
हिंगोट युद्ध को लेकर प्रशासन की ओर से भी खास इंतजाम किए गए थे। दो सौ से ज्यादा जवानों की तैनाती थी, चार एम्बुलेंस भी लगाई गई थीं, चिकित्सकों के दल भी मैदान में मौजूद थे।