पहले देश के महानगरों में ही इस प्रकार के ऑपरेशन की सुविधा थी, लेकिन अंबेडकर अस्पताल में यह सुविधा मिलने से राज्य के कैंसर मरीजों के लिए राहत की बात है।
कैंसर सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष गुप्ता का कहना है कि देश के मध्यप्रांत यानी छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश के बहुतायत क्षेत्रों में आहारनली के कैंसर से पीड़ित लोगों की संख्या अधिक है। तंबाकू का अत्यधिक सेवन और बदलती जीवन शैली इसोफेगल कैंसर का प्रमुख कारण है।
इस तरह के कैंसर के इलाज में काफी खर्च आता है और इसके इलाज की सुविधा फिलहाल चुनिंदा शहरों में ही उपलब्ध है। लेकिन हाल ही में अंबेडकर अस्पताल के कैंसर सर्जरी यूनिट में लेप्रोस्कोपिक पद्धति से सर्जरी की सुविधा उपलब्ध हो जाने से गरीब और मध्यम तबके के मरीजों को काफी राहत की बात है।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि आहारनली का कैंसर असाध्य नहीं है, बशर्ते इसका पता प्रारंभिक अवस्था में ही लग जाए। प्रारंभिक अवस्था में पता चल जाने पर इसका सफल उपचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “हमारी टीम ने हाल ही में दो सफल थोरेस्कोपिक सर्जरी की है। दुर्ग की 45 वर्षीय एक महिला और आरंग की 40 वर्षीय एक महिला मरीज को क्रमश: आहारनली व इसके निचले हिस्से में कैंसर था, दोनों मरीज अब ठीक हैं।”
डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल की जनसंपर्क अधिकारी शुभ्रा सिंह ने बताया कि वीडियो एसिस्टेड थोरेस्कोपिक सर्जरी (वैट्स) करने वाले विशेषज्ञों की टीम में कैंसर सर्जन डॉ. आशुतोष गुप्ता, डॉ. गुंजन अग्रवाल, डॉ. शांतनु तिवारी, डॉ. क्षितिज वर्मा, डॉ. राजेश अग्रवाल और निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. सुनील गुप्ता, डॉ. आशीष मजूमदार, डॉ. नीतू जैन और डॉ. विपिन चंद्राकर शामिल हैं।