नई दिल्ली, 20 जनवरी (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यालय ने मंगलवार को स्वयंभू भगवान आसाराम बापू की जमानत याचिका नामंजूर कर दी। आसाराम पर राजस्थान के जोधपुर स्थित अपने आश्रम में 16 वर्षीय एक लड़की पर यौन हमला करने का आरोप है और वे अभी इसी मामले में जेल में बंद हैं।
न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर, न्यायमूर्ति आर.के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने सुनवाई करने वाली अदालत में लड़की और उसके पिता सहित सभी सबूतों की परीक्षा होने के बाद नए सिरे से याचिका दायर करने की अनुमति दी।
इसके पहले वकील विकास सिंह ने जमानत के लिए दबाव बनाया, और कहा कि मामले में हमारे मुवक्किल की जमानत की राह में आने वाले सभी सबूतों की जांच सुनवाई करने वाली अदालत में सोमवार को हो चुकी है और अब उन्हें छोड़ा जाना चाहिए।
राजस्थान सरकार की ओर से पेश हो रहे अतिरिक्त सोलिसीटर जनरल पिंकी आनंद ने हालांकि हैरत जताई कि आखिर किस तरह नियमित जमानत की याचिका दी जा रही है, क्योंकि सुनवाई को आसाराम के स्वास्थ्य हाल तक सीमित की गई है।
लड़की के परिवार की ओर से पेश वकील कामिनी जयसवाल ने भी कुछ आपत्तियां उठाई।
आसाराम के वकील ने कहा कि वे (आसाराम) न्यूरोलॉजिकल बीमारी – ट्रिजेमिनल न्यूराल्जिया से ग्रसित हैं।
सर्वोच्च न्यायालय को 5 जनवरी को पिछली सुनवाई में आसाराम के स्वास्थ्य की जांच करने वाले चिकित्सकों के दल ने कहा था कि भगवान की बीमारी का इलाज दवा के प्रयोग से हो सकती है और उन्हें किसी प्रकार के आपरेशन की जरूरत नहीं है।
5 जनवरी को अदालत ने मंगलवार तक के लिए सुवाई रोक दी थी। उस समय आसाराम के वकील के रूप में पेश सलमान खुर्शीद को शीर्ष अदालत ने रिपोर्ट का अनुसरण करने का समय दिया था।
जोधपुर जेल में बंद आसाराम के खिलाफ पीड़िता ने 20 अगस्त 2015 दर्ज कराया था। आसाराम को सितंबर 2013 में गिरफ्तार किया गया था और उनके खिलाफ बच्चों को यौन हमले से रक्षा करने संबंधित अधिनियम के प्रावधानों के तहत सुनवाई चल रही है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।