नई दिल्ली, 24 मार्च (आईएएनएस)। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक चिकित्सक के पास अपेक्षित योग्यता नहीं होने पर उसे सहायक प्रोफेसर पद से हटा दिया। एम्स ने ऐसा दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा इस संदर्भ में दिए गए आदेश के मद्देनजर किया।
एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया द्वारा जारी एक आधिकारिक पत्र में कहा गया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद कनिका जैन की अस्पताल प्रशासन के सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति तत्काल प्रभाव से समाप्त होती है।
गुलेरिया के पत्र की एक प्रति आईएएनएस के पास है।
बीते साल सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेशन ट्रिब्यूनल (सीएटी) के चेयरमैन न्यायमूर्ति एल.नरसिम्हा रेड्डी की अध्यक्षता वाली पीठ व इसकी प्रशासनिक सदस्य आराधना जोहरी ने राय दी थी कि जैन की डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड (डीएनबी) की डिग्री पद के लिए पर्याप्त योग्यता नहीं रखती।
ट्रिब्यूनल ने इसके बाद उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया और कहा कि उन्हें मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल में एक साल और रहने की जरूरत है।
सीएटी ने कहा था कि नियमों के अनुसार चार सालों के प्रशिक्षण में एक साल एमसीआई के मान्यता प्राप्त अस्पताल में होना चाहिए।
ट्रिब्यूनल का फैसला तीन चिकित्सकों की याचिका पर आया है, जिन्होंने एम्स में अस्पताल प्रशासन के सहायक प्रोफेसर पद के लिए आवेदन किया था।
उन्होंने जैन की नियुक्ति को अपेक्षित योग्यता नहीं होने के आधार पर चुनौती दी थी।
जैन ने अपने बचाव में दावा किया था कि उनकी डीएनबी डिग्री, एमडी डिग्री के समतुल्य है और इसलिए वह पद के योग्य हैं।