नई दिल्ली, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य नीतिगत दरों में 25 आधार अंक कटौती किए जाने की उम्मीद की जा रही है, लेकिन कम-से-कम 50 आधार अंक कटौती किए जाने के बाद ही इसका वाणिज्यिक बैंकों की ब्याज दरों पर वास्तविक असर दिखेगा। यह बात उद्योग संघ एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) द्वारा कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के बीच कराए गए एक सर्वेक्षण की रपट में कही गई है।
आरबीआई पांच अप्रैल को 2016-17 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा करेगा।
एसोचैम ने कहा, “आरबीआई के सामने पांच अप्रैल को की जाने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर को 6.25 फीसदी करने के लिए सभी अनुकूल स्थिति बनी हुई है।”
रेपो दर वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को छोटी अवधि के लिए ऋण देता है। अभी रेपो दर 6.75 फीसदी है।
सर्वेक्षण में 110 मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से राय ली गई। 82 फीसदी ने कहा कि 25 आधार अंकों की कटौती करने से कारोबारी स्थिति पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा।
सर्वेक्षण में अधिकतर ने कहा, “5.18 फीसदी की उपभोक्ता महंगाई दर आरबीआई के लक्ष्य से काफी कम है और सरकार वित्तीय अनुशासन पर खरा उतरी है।”
वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि 2015-16 में उसने वित्तीय घाटा को जीडीपी के 3.9 फीसदी पर रखा है और 2016-17 में इसे 3.5 फीसदी पर लाने का लक्ष्य है।
मुख्य ब्याज दर को घटाने की उम्मीद के अलावा कारोबारी प्रमुखों ने नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) में भी 50 आधार अंकों की कटौती किए जाने की उम्मीद जताई, जिससे वाणिज्यिक बैंकों की ब्याज दर और घट सकती है।