नई दिल्ली, 4 जनवरी – राष्ट्रीय राजधानी में सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम का दुरुपयोग किस तरह हो रहा है, इसका खुलासा दिल्ली पुलिस ने अपने विभाग में आए आवेदनों से किया है। आवेदन में उनसे जानकारी मांगी जाती है कि वे दिन भर में कितना कप चाय पीते हैं? दिल्ली में कितनी बैलगाड़ियां चलती हैं? दिल्ली में कितने हरे पेड़ हैं और कितने सूखे?
ये कुछ बेतुके सवाल बस उदाहरण भर हैं, जो दिल्ली पुलिस से पूछे जाते हैं। ऐसे बिना सिर पैर वाले सवालों की लंबी फेहरिश्त है, जिसे बताने में पूरा दिन भी कम पड़ जाए। ऐसे प्रश्नों को देखकर तो किसी की भी यही धारणा बनेगी कि यहां आरटीआई अधिनियम का दुरुपयोग धड़ल्ले से हो रहा है।
दिल्ली पुलिस के आरटीआई शाखा का गठन साल 2005 में हुआ था। आईएएनएस को मिले आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच सालों के दौरान दिल्ली पुलिस को कुल 152,600 आवेदन मिल चुके हैं। साल 2014 में सितंबर तक उसे 15,803 आवेदन मिले, जबकि साल 2013 में कुल 30 हजार आवेदन प्राप्त हुए थे।
शाखा में कार्यरत अधिकारियों ने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि अधिकांश आवेदन अनुचित तथा विसंगत होते हैं और कुछ तो हास्यास्पद भी।
दिल्ली पुलिस आरटीआई शाखा से जुड़े एक अधिकारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, “सूचनाओं को पाने का यह एक बेहतरीन औजार है, जो किसी भी व्यक्ति या समाज के लिए फायदेमंद है। लेकिन अधिकांश लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। कुछ लोगों को तो आरटीआई डालने की जैसे आदत सी पड़ गई है और उनका सवाल ऐसा होता है, जो न तो हमारे विभाग से संबंधित होता है और न ही किसी और विभाग से।”
उन्होंने कहा, एक उदाहरण तो ऐसा है कि आवेदन में यह पूछा गया कि पुलिसकर्मी एक दिन में कितना कप चाय पीते हैं। ऐसे सवालों का जवाब देना संभव नहीं। एक आवेदन में पूछा गया है कि दिल्ली में कितनी बैलगाड़ियां चलती हैं और उनका मार्ग क्या है।
इस साल हिंदी तथा अंग्रेजी के अलावा बांग्ला तथा मराठी में भी आवेदन मिले हैं।
उल्लेखनीय है कि सरकारी अधिकारियों द्वारा नागरिकों को सूचनाएं उपलब्ध कराने के लिए आरटीआई का क्रियान्वयन साल 2002 में किया गया था। इसके लिए 10 रुपये का शुल्क लगता है और अधिकारी द्वारा आवेदनकर्ता को जवाब 30 दिनों के अंदर देना होता है।
आवेदनों के संकलन के लिए दिल्ली पुलिस की आरटीआई शाखा में 12 कर्मचारी कार्यरत हैं, जो आवेदन को संबंधित अधिकारी को भेजने का काम करते हैं। इस इकाई की अध्यक्षता पुलिस उपायुक्त करते हैं और संचालन मध्य दिल्ली स्थित पुलिस मुख्यालय से किया जाता है।
महात्मा गांधी की हत्या की प्राथमिकी तथा जाति एवं धर्म के हिसाब से दिल्ली पुलिस की संरचना से संबंधित आवेदन भी प्राप्त हुए हैं।
इसके अलावा, मामले की जांच तथा स्थानांतरण व पदस्थापन को लेकर भी आवेदन किए जाते हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, साल 2010 में 44,930, साल 2011 में 34,384, जबकि 2012 में 27,301 आरटीआई आवेदन प्राप्त हुए।