लखनऊ, 13 अगस्त (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में सर्वधर्म सद्भाव का दीपक हमेशा ही जलता रहता है। गंगा-जमुनी तहजीब वाले इस प्रदेश में जौनपुर के मोहम्मद आदिब ने उर्दू में हनुमान चालीसा का अनुवाद किया है। हिंदी के बाद अब उर्दू में भी उसे पढ़ा जा सकता है। आदिब रामायण का उर्दू में अनुवाद करना चाहते हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इसे पढ़ सकें।
जौनपुर के हमाम दरवाजा निवासी मोहम्मद आदिब ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में हनुमान चालीसा का उर्दू में अनुवाद करने की कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि अनुवाद के पीछे उनकी सोच यह है कि विभिन्न संप्रदाय के लोग एक-दूसरे की सभ्यता, संस्कृति और धर्म को अच्छी तरह समझ सकें ताकि उनके बीच सौहार्द बना रहे।
जौनपुर के तमाम साहित्यकार एवं रचनाकारों ने कृतियों के माध्यम से दो धर्मो को एक धागे में पिरोने का काम किया है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए मोहम्मद आबिद ने भी हनुमान चालीसा का उर्दू में अनुवाद किया।
बकौल आबिद इसकी प्रेरणा उन्हें शिव की नगरी काशी से मिली। वह दशाश्वमेध घाट पर थे। वहां दीवार पर अंकित हनुमान चालीसा को कुछ विदेशी बड़ी ही उत्सुकता से देख रहे थे। समस्या यह थी कि वे समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर यह लिखा क्या है। उन्होंने एक बच्चे को बुलाया, जिसने टूटी-फूटी अंग्रेजी में उन्हें समझाने की कोशिश की।
बच्चे की टूटी-फूटी अंग्रेजी के बावजूद उन विदेशियों की आंखों में चमक देखने के बाद आबिद हनुमान की विलक्षण प्रतिभा के कायल हो गए।
आबिद ने बताया, “यहीं से मुझे प्रेरणा मिली कि जब विदेशी हमारी धार्मिक सभ्यता को समझने के लिए इतने आतुर हैं, तो हम पीछे क्यों रहें। मैंने फौरन अनुवाद के लिए हनुमान चालीसा खरीदी। उसके बाद 90 लाइनों और 15 बंधनों में उसका उर्दू में अनुवाद कर डाला।”
आबिद की मानें तो वह अपने समुदाय के लोगों को भी इसे पढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में हर संप्रदाय के लोगों को एक-दूसरे के धर्म की बारीकियों को समझना चाहिए। हिंदुओं को कुरान और मुस्लिमों को गीता पढ़ने में भाषा आड़े आती है इसलिए इनकी अन्य भाषाओं में अनुवाद के साथ उपलब्धता जरूरी है। वह अब रामायण सहित अन्य ग्रंथों का भी अनुवाद करेंगे।