सिंगापुर/वाशिंगटन, 23 मार्च (आईएएनएस)। आधुनिक सिंगापुर के जनक और देश के पहले प्रधानमंत्री ली कुआन यू का सोमवार को निधन हो गया। वह 91 साल के थे। वह पिछले एक माह से बीमार थे। उन्होंने सोमवार तड़के स्थानीय समयानुसार 3.18 बजे सिंगापुर जनलर हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली।
सिंगापुर के प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कुआन के निधन की पुष्टि की है।
कुआन के निधन पर सिंगापुर में सात दिनों के शोक की घोषणा की गई है। समाचार पत्र ‘स्ट्रेट टाइम्स’ के अनुसार, कुआन का पार्थिव शरीर संसद भवन में बुधवार से शनिवार तक दर्शन के लिए रखा रहेगा। 29 मार्च को कुआन का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा।
कुआन के निधन पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक संवेदना व्यक्त की। इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने भी उनके निधन पर शोक जताया और उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं।
इनके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, डीएमके अध्यक्ष एम. करुणानिधि और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भी कुआन के निधन पर शोक व्यक्त किया।
सिंगापुर के संस्थापक कुआन ने वर्ष 1959 से 1990 तक देश के प्रधानमंत्री के रूप में और फिर वरिष्ठ मंत्री तथा मंत्रिमंडल के मार्गदर्शक के रूप में सेवा दी।
कुआन हाल के महीनों में खराब तबीयत की वजह से सार्वजनिक और अपने निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित कार्यक्रमों में शिरकत नहीं कर पा रहे थे। वह आखिरी बार पिछले साल नवंबर में पीपुल्स एक्शन पार्टी की 60वीं सालगिरह के जश्न और नवंबर में ही अपने निर्वाचन क्षेत्र में ट्री प्लान्टिंग डे में देखे गए थे।
उन्होंने तनजोंग पैगार जीआरसी (ग्रुप रिप्रेजेंटेशन कांस्टिट्यूऐंसी) से सांसद के रूप में अगस्त 2014 में तनजोंग पैगार जीआरसी के राष्ट्रीय दिवस भोज में भी शिरकत की थी।
सितंबर 1923 में जन्मे कुआन को सिंगापुर के संस्थापक के रूप में भी जाना जाता है। वह 1959 से 1990 तक सिंगापुर के प्रधानमंत्री रहे। बाद में वरिष्ठ मंत्री और मंत्रिमंडल मार्गदर्शक के रूप में अपनी सेवा दी।
सिंगापुर को 1965 में जब ब्रिटिश राज से आजादी मिली तो कहा जाता है कि कुआन सामने खड़ी चुनौतियों को सोचकर रो पड़े थे। कुआन ने लेकिन तमाम चुनौतियों और आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए आधुनिक सिंगापुर का निर्माण किया।
कुआन ने एक बार कहा था, “आज से 100 साल पहले यह मात्र एक दलदल था। आज यह एक आधुनिक शहर है।”
कुआन को सार्वजनिक आवास व्यवस्था, अंग्रेजी को अनिवार्य किए जाने, हरित क्रांति लाने, संतानोत्पत्ति के लिए प्रोत्साहित करने और बाहरी देशों से आने वाले नागरिकों के प्रति उदारता अपनाने के लिए प्रेरित करने वाले राजनेता के रूप में जाना जाता है।
आलोचकों ने उन्हें लोकतंत्र के नाम पर लेनिन जैसा राष्ट्र बनाने वाला कहा, लेकिन कुआन का जवाब था, “मैं दृढ़प्रतिज्ञ हूं। सारी परिस्थितियां मेरे खिलाफ हो सकती हैं, लेकिन यदि मुझे पता है कि यह ठीक है तो मैं वही करूंगा। यही नेता का काम है।”
कुआन देश पर कड़ा नियंत्रण न रखने के लिए भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आलोचना किया करते थे। यहां तक कि इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में लगाए गए आपात शासन की वह सार्वजनिक तौर पर सराहना किया करते थे।
कुआन अक्सर ऐसे बयान दिया करते थे, जिससे उनकी छवि भारत-विरोधी की बनती थी। लेकिन 1991 में भारत में जब आर्थिक सुधार लागू हुए तो उन्होंने भारत के बारे में अपनी राय बदलनी शुरू कर दी।
कुआन ने 2005 में दिल्ली की यात्रा के दौरान कहा था, “भारत को बर्बाद हो गए समय की भरपाई करनी होगी..भारत के सामने अब नई नियति के साक्षात्कार का समय आ गया है।”