इस्लामाबाद, 15 जनवरी (आईएएनएस)। मुस्लिम देशों को यह समझना चाहिए कि आतंकवादियों के बीच ‘अच्छे’ और ‘बुरे’ का भेद नहीं होता। शुक्रवार को एक पाकिस्तानी अखबार ने यह बात लिखी है।
डॉन ने अपने संपादकीय में लिखा, “बदकिस्मती से, कुछ मुस्लिम देशों ने अपने यहां चरमपंथी समूहों को पनपने दिया, जबकि कुछ ने अपने भू-राजनीतिक संघर्ष में इनका परदे के पीछे से इस्तेमाल किया।”
“यह भी सच है कि ज्यादातर मुस्लिम देश, जिसमें लोकतांत्रिक से लेकर राजशाही तक शामिल हैं, अपने अवाम को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक इंसाफ दिलाने में असफल रहे। इसके कारण ही वहां चरमपंथी आन्दोलन पनपा। अब ये पूरी व्यवस्था को खत्म कर अपने हिसाब से नई व्यवस्था बनाना चाहते हैं।”
डॉन ने लिखा कि मुस्लिम देशों को यह समझना चाहिए कि उन्हें आतंकवादियों से बिना अच्छे और बुरे का भेद किए निपटना चाहिए।
पाकिस्तान और तुर्की में हाल ही में हुए आंतकवादी हमलों का हवाला देते हुए लिखा गया है कि यह दिखाता है कि सभी मुस्लिम देश भौगोलिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से अलग-अलग होने के बावजूद हिंसक धार्मिक आतंकवाद की चपेट में हैं।