नई दिल्ली, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। हिंदी फिल्म उद्योग के सुनहरे दौर में अपनी हिट फिल्मों के कारण बॉलीवुड की ‘जुबली गर्ल’ कहलाने वाली अभिनेत्री आशा पारेख का कहना है कि मौजूदा दौर में स्टारडम को संभाल पाना उनके लिए मुश्किल होता। आजकल मीडिया और पपाराजी की दखलंदाजी बहुत ज्यादा है।
नई दिल्ली, 9 अप्रैल (आईएएनएस)। हिंदी फिल्म उद्योग के सुनहरे दौर में अपनी हिट फिल्मों के कारण बॉलीवुड की ‘जुबली गर्ल’ कहलाने वाली अभिनेत्री आशा पारेख का कहना है कि मौजूदा दौर में स्टारडम को संभाल पाना उनके लिए मुश्किल होता। आजकल मीडिया और पपाराजी की दखलंदाजी बहुत ज्यादा है।
आशा (74) ने आईएएनएस को फोन पर दिए साक्षात्कार में अपनी आत्मकथा ‘आशा पारेख : द हिट गर्ल’, मौजूदा दौर के फिल्मी सितारों, सेंसरशिप, सम्मान के लिए सरकार के इर्दगिर्द घूमने, अपने दोस्तों और शादी नहीं करने जैसे मुद्दों पर बात की।
आशा ने कहा, “मुझे लगता है कि वह एक अच्छा समय था, जब मैं सुनहरे दौर का हिस्सा थी। आज के दौर का मैं हिस्सा बनना पसंद नहीं करूंगी क्योंकि आज मीडिया, पपाराजी, तनाव और बहुत सी चीजें बहुत ज्यादा हैं। आज बहुत सी बातों को सितारों को झेलना पड़ रहा है।”
कलाकरों के जीवन की आपाधापी और खुद को प्रचारित करने की होड़ को वह अच्छा नहीं मानती हैं। उन्होंने कहा कि आज कलाकारों को अपना प्रमोशन और कई काम करने पड़ते हैं। उन्हें बहुत कुछ करना पड़ता है। आज के समय में वह स्टारडम को नहीं संभाल पातीं। उन्होंने कहा कि उनके समय में अपना ही प्रचार करने का चलन इतना नहीं था।
आशा ने 1960 के दशक से लेकर 1970 के दशक के बीच 20 सिल्वर और गोल्डन जुबली फिल्में दी थीं। अपने शानदार अभिनय और नृत्य से दर्शकों के दिलों पर उन्होंने राज किया था।
उन्होंने 1990 के दशक के बीच बड़े पर्दे से किनारा कर लिया क्योंकि उन्हें मां या भाभी की भूमिकाएं ही मिल रही थीं और कोई दमदार किरदार निभाने का प्रस्ताव नहीं मिल रहा था।
उन्होंने नितिन गडकरी के उस टिपप्णी का भी जवाब दिया, जिसमें केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि अभिनेत्री ने पद्म भूषण पाने के लिए 12 मंजिल की सीढ़ियां चढ़कर उनसे मुलाकात की थी और यह सम्मान देने की पैरवी की थी।
उन्होंने गडकरी की बात को हंसी में उड़ाते हुए कहा, ” पीठ में समस्या के चलते मैं सात मंजिल तो चढ़ नहीं पाती तो फिर 12 मंजिल कैसे चढ़ सकती हूं। यह असंभव है।”
तो फिर, गडकरी ने यह बात क्यों कही। इस सवाल पर उन्होंने कहा, “मैं नहीं जानती..आप नितिन गडकरी से पूछिए।”
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की अध्यक्ष रह चुकीं और उस दौरान फिल्म ‘जख्म’ और ‘एलिजाबेथ’ के बारे में अपने फैसले के लिए आलोचनाओं का सामना करने वाली अभिनेत्री कहती हैं कि सेंसरशिप बेहद जरूरी है। बड़े सितारों वाली फिल्मों की बात नहीं है, लेकिन जो बी और सी ग्रेड की फिल्में बनती हैं, उनमें से कई भयावह होती हैं और उन्हें सेंसर करना ही होगा। इस बारे में कोई बात नहीं करता।
शादी नहीं करने और अकेले रहने के बारे में उन्होंने कहा कि दोस्तों, सहेलियों के साथ की वजह से उन्हें कभी भी अकेलेपन का अहसास नहीं होता।
‘आशा पारेख : द हिट गर्ल’ को फिल्मकार व समीक्षक खालिद मोहम्मद ने लिखा है। सलमान खान 10 अप्रैल को मुंबई में इसे लांच करेंगे।