आगरा, 20 मार्च (आईएएनएस)। आगरा में पेठा बनाने वाली सात और इकाइयों को बंद कर दिया गया है और इसके साथ ही कोयला का उपयोग करने के कारण बंद की गई पेठा निर्माण इकाइयों की संख्या बढ़ कर 30 हो गई है।
आगरा, 20 मार्च (आईएएनएस)। आगरा में पेठा बनाने वाली सात और इकाइयों को बंद कर दिया गया है और इसके साथ ही कोयला का उपयोग करने के कारण बंद की गई पेठा निर्माण इकाइयों की संख्या बढ़ कर 30 हो गई है।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, आगरा नगर निगम और जिला प्रशासन ने संयुक्त कार्रवाई के तहत बुधवार रात सातों इकाइयों पर ताला लगाया। प्रशासन को सूचना मिली थी कि उन इकाइयों ने कोयले का उपयोग जारी रखा था, जबकि पहले उन्होंने हलफनामा देकर कहा था कि वे कोयले का उपयोग नहीं करेंगे।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी आनंद कुमार द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराए जाने के बाद ताजा कार्रवाई की गई।
आगरा के नूरी दरवाजा क्षेत्र में अब भी चल रही इकाइयों ने अपने शटर गिराकर प्रशासनिक कार्रवाई का विरोध किया है।
आगरा के प्रमुख पेठा बाजार नूरी दरवाजा के एक दुकानदार अंकुर ने नाराजगी जताते हुए आईएएनएस से कहा, “इस तरह से आगरा के पेठा बनाने वालों का कारोबार बंद हो जाएगा।”
एक अन्य दुकानदार गोविंद ने कहा, “हम बर्बाद हो जाएंगे।”
मंगलवार को अनुमंडलीय आयुक्त प्रदीप भटनागर ने प्रदूषणकारी इकाइयों के विरुद्ध कठोर कदम उठाने का आदेश दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने 1996 में एक जनहित याचिका में फैसला देते हुए पेठा निर्माण में कोयले के उपयोग पर पाबंदी लगा दी थी। याचिका वकील और पर्यावरण कार्यकर्ता एमसी मेहता ने दाखिल की थी।
आगरा में 500 से अधिक पेठा निर्माण इकाई रोजाना कई टन पेठा बनाते हैं, जिसमें 50 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
आहार विशेषज्ञों के मुताबिक पेठा में चीनी अधिक होती है, लेकिन यह पोषक और सस्ता होता है और इसमें वसा कम होता है।
पुरानी कहानियों के मुताबिक,17वीं सदी में ताजमहल के निर्माण के दौरान मजदूरों और कारीगरों को पेठा खिलाया जाता था, जिससे उन्हें भरपूर ऊर्जा मिलती थी।
पेठा के लिए कच्चा माल हालांकि आगरा में नहीं मिलता है।
ब्रज मंडल हेरीटेज कंजर्वेशन सोसायटी के अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि इसके लिए कद्दू तमिलनाडु, महाराष्ट्र या अन्य जगहों से मंगाए जाते हैं। स्थानीय स्तर पर पेठा बनाने का सिर्फ हुनर मौजूद है।
हाल के वर्षो में पेठा बनाने वालों में इसके साथ कई प्रयोग किए हैं और विभिन्न आकार, प्रकार और रंग के पेठे इजाद किए गए हैं।
पहले दो-तीन तरह के पेठे ही मिलते थे। अब आप सैंडविच पेठा, केसर पेठा, खास पेठा, ऑरेंज पेठा, पाइनएप्पल पेठा, कोकोनट पेठा जैसे कई पेठे खा सकते हैं।
मधुमेह रोगियों के लिए सुगर-फ्री पेठा भी मिलता है।
आगरा प्रशासन प्रदूषणकारी इकाइयों को दूसरी जगहों पर स्थानांतरित करना चाहता है।
आगरा विकास प्राधिकरण ने एक पेठा नगरी का विकास किया है और इकाइयों को वहां भूखंड आवंटित किया गया है, लेकिन अधिकारियों के मुताबिक कोई वहां जाना नहीं चाहता है।
एक चिकित्सक के मुताबिक, “ये इकाइयां क्षेत्र को प्रदूषित कर रही हैं। इनसे ठोस कचरा और जहरीले धुएं निकलते हैं, जो सुबह के कुहासे से मिलकर स्थानीय लोगों के लिए सांस लेना कठिन बना देते हैं।”
एक अधिकारी ने कहा कि इन इकाइयों ने 2002 में एक हलफनामा दाखिल कर कहा था कि उन्होंने कोयले का उपयोग बंद कर दिया है और एलपीजी का उपयोग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “लेकिन जांच में पता चला कि कोयले का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है।”