नई दिल्ली, 25 जनवरी (आईएएनएस)। भारत और अमेरिका ने एक ‘महत्वपूर्ण’ कदम उठाते हुए रविवार को ‘वाणिज्यिक सहयोग’ की दिशा में बढ़ने के साथ ही अपने ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते को ‘पूर्ण रूप से लागू करने’ करने पर सहमत हुए।
नई दिल्ली, 25 जनवरी (आईएएनएस)। भारत और अमेरिका ने एक ‘महत्वपूर्ण’ कदम उठाते हुए रविवार को ‘वाणिज्यिक सहयोग’ की दिशा में बढ़ने के साथ ही अपने ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते को ‘पूर्ण रूप से लागू करने’ करने पर सहमत हुए।
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई घोषणा से मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 2008 में हुए समझौते की संभावना उज्जवल होगी। समझौता तो हुआ था लेकिन लागू नहीं हो पाया था।
मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “असैन्य परमाणु समझौता भारत-अमेरिका की आपसी समझ का केंद्रबिंदु है, जिससे नया विश्वास जाहिर हुआ है। इससे नए आर्थिक अवसर भी तैयार हुए हैं और स्वच्छ ऊर्जा के लिए हमारे विकल्प भी बढ़े हैं।”
उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि द्विपक्षीय समझौते के छह वर्ष बाद हम अब वाणिज्यिक सहयोग की दिशा में अपने कानून के अनुरूप, अपने अंतर्राष्ट्रीय कानूनी दायित्व, और तकनीकी व वाणिज्यिक व्यवहार्यता के अनुरूप आगे बढ़ रहे हैं।”
इसे एक ‘महत्वपूर्ण आपसी समझ’ करार देते हुए ओबामा ने कहा कि दोनों नेता ‘हमारे असैन्य परमाणु सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए हैं और हम इसके पूर्ण रूप से लागू करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं।’
उन्होंने कहा, “यह एक महत्वपूर्ण कदम है और हमें दर्शाता है कि हम कैसे अपने रिश्ते की उन्नति के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।”
मोदी और ओबामा हैदराबाद हाउस में शिखर स्तर की चार घंटे तक चली लंबी बातचीत में शामिल हुए। ओबामा के साथ अपने चार माह के कार्यकाल के भीतर मोदी की यह दूसरी मुलाकात थी। दोनों नेताओं की पहली मुलाकात सितंबर 2014 में प्रधानमंत्री की पहली अमेरिका यात्रा के दौरान हुई थी।
ओबामा के साथ उनकी पत्नी मिशेल भी आई हुई हैं। 66वें गणतंत्र दिवस परेड में ओबामा मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे।
शिखर स्तर की इस वार्ता से पहले दोनों देशों के परमाणु अधिकारियों वाले एक संपर्क समूह ने पिछले 45 दिनों में तीन चक्र बातचीत की, जो दोनों देशों की उत्कटता को जाहिर करता है कि वे विवादित मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाना चाहते हैं।
भारत के सख्त असैन्य परमाणु दायित्व कानून को लेकर अमेरिकी गलतफमी के अलावा भारत की आपत्ति का मुद्दा यह है कि अमेरिका परमाणु ईंधन और उपकरण को लेकर स्थायी रूप से नियंत्रण रखने पर जोर दे रहा है। भारतीय परमाणु दायित्व कानून किसी दुर्घटना की स्थिति में आपूर्तिकर्ता को जवाबदेह ठहराता है।