वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि अल्ट्रावायलट किरणों से शरीर में एंडरोफिन बनाते हैं, जिन्हें खुशी के हारमोन भी कहा जाता है और ये उसी तरह काम करते हैं जैसे कि हेरोइन और मोर्फिन जैसे मादक द्रव्यों की ही तरह काम करते हैं| वैज्ञानिक चूहों पर रोजाना अल्ट्रावायलट किरणों का प्रभाव डालते रहे और फिर छह सप्ताह बाद उन्होंने उनकी यह “लत” छुड़ाने की कोशिश की| इस पर उनमें वही लक्षण देखने को मिले जो नशा करने वालों को नशा न मिलने पर उनमें देखने में आते हैं – उनके बदन में थरथरी होने लगी और दांत किटकिटाने लगे|