नई दिल्ली, 5 फरवरी (आईएएनएस)। गायक दंपति सुनाली एवं रूप कुमार राठौड़ लंबे अरसे से संगीत प्रेमियों का मनोरंजन कर रहे हैं, लेकिन दोनों ही गायक मौजूदा पीढ़ी के गीतकारों द्वारा रचे जाने वाले गीत और शब्दों से नाखुश लगते हैं।
‘संदेशे आते हैं’, ‘मौला मेरे मौला’ और ‘तुझ में रब दिखता है’ जैसे गानों से संगीत प्रेमियों का दिल बहलाने वाले रूप गीत-संगीत की मौजूदा स्थिति को लेकर काफी फिक्रमंद हैं।
उन्होंने आईएएनएस को एक ई-मेल साक्षात्कार में बताया, “कुछ संगीत अच्छे होते हैं, लेकिन कुछ बुरे भी होते हैं। आज की पीढ़ी के गीतकारों को तमीज नहीं है। उन्हें लिखने की कला आती नहीं है। वे बस अपने दिमाग के विचारों का अनुवाद भर करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “गाना ‘मैं सुपरमैन..’ के जो शब्द है, वह हम किसी से लड़ाई में भी नहीं कहते। यह हमारी संस्कृति नहीं है और हम इस युवा पीढ़ी के साथ आगे न बढ़े, तो ही अच्छा है।”
रूप कुमार उनको मिलने वाले गानों के प्रस्तावों को लेकर भी काफी सर्तक रहते हैं।
उन्होंने कहा, “संगीतकार मुझे ‘चार बोतल वोडका’ जैसे गीत गाने के लिए नहीं बुला सकते। गाने के बोल, स्वभाव और गाने की शैली मुझे पसंद आनी चाहिए। मैं सोचता हूं इस तरह की फिल्मों के साथ मेरा नाम न जुड़ना ही बेहतर है, चाहे इसके लिए मुझे नखरैल क्यों न कहा जाए।”
रूप की पत्नी और गायिका सुनाली राठौर भी उनके विचारों से सहमत हैं। उनका मानना है कि आज के गानों में जरूरत से ज्यादा पाश्चात्य शैली की झलक दिखती है।
सुनाली ने कहा, “गीत के बोल आज बद से बदतर हो गए हैं। आज गीतों के बोल अर्थहीन हो चुके हैं।”
सुनाली और रूप ने अपना नया संगीत एल्बम ‘जिक्र तेरा’ जारी किया है, जिसके माध्यम से वे दिवंगत गजल गायक जगजीत सिंह को श्रद्धांजलि देना चाहते हैं।