नई दिल्ली, 13 जुलाई (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के नेता और मुख्यमंत्री नबाम तुकी को मुख्यमंत्री के रूप में बहाल कर दिया। इस फैसले की सराहना करते हुए विपक्ष ने इसे लोकतंत्र की जीत करार दिया है।
न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर, न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर, न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति एन. वी. रमना की सदस्यता वाली संविधान पीठ ने प्रदेश में सरकार की 15 दिसंबर, 2015 की जो स्थिति थी, उसे बहाल करने का निर्देश दिया। इस तरह तुकी फिर से मुख्यमंत्री के रूप में बहाल हो गए।
सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा के उस निर्णय को रद्द कर दिया, जिसके तहत उन्होंने विधानसभा सत्र को जनवरी 2016 के बदले दिसंबर में ही बुलाने का फैसला किया था। जिसके बाद तुकी के सत्ता से बाहर होना तय हुआ था।
खुश नजर आ रहे तुकी ने सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले को एक ऐतिहासिक बताया और कहा कि न्यायालय का यह आदेश देश में स्वस्थ लोकतंत्र की रक्षा करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा यह एक ऐतिहासिक एवं उल्लेखनीय फैसला है।
तुकी ने कहा, “इस फैसले के अनुसार हमारी सरकार बहाल हो गई है। मैं अपने राज्य जाऊंगा और कांग्रेस के सभी 47 विधायकों से बात करूंगा। हम लोग बैठक करेंगे।”
उत्तराखंड के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के लिए इसे एक और झटका माना जा रहा है। मई में सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड की बर्खास्त हरीश रावत सरकार को इसी तरह बहाल कर दिया था।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “यह भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के लिए बड़ा सबक है। उत्तराखंड एवं अरुणाचल प्रदेश में लोकतंत्र खतरे में था। अदालत ने दोनों राज्यों में लोकतंत्र बहाल कर दिया है। यह देश एवं लोकतंत्र की एक जीत है।”
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) को ‘लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने’ के लिए सर्वोच्च न्यायालय को धन्यवाद दिया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सर्वोच्च न्यायालय के बुधवार के आदेश को ‘(प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी की तानाशाह सरकार’ के लिए करारा जवाब बताया है।
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता ने ट्वीट कर कहा, “सर्वोच्च न्यायालय का फैसला तानाशाह मोदी सरकार को करारा जवाब है। उम्मीद है कि मोदीजी इससे सबक लेंगे और लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकारों के मामलों में हस्तक्षेप बंद करेंगे।”
आप के एक अन्य नेता आशुतोष ने कहा कि यह फैसला ‘तानाशाही की हार और लोकतंत्र की जीत’ है। उन्होंने कहा, “मोदीजी जनादेश का सम्मान करना सीखिए।”
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार को बहाल करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की सराहना करते हुए (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी की सरकार से गैर भाजपा शासित राज्यों में केंद्रीय शासन थोपने की ‘उनकी बढ़ती निरंकुशवादी प्रवृत्ति’ छोड़ने के लिए कहा।
माकपा ने कहा, “उत्तराखंड के बाद शीर्ष अदालत का फैसला भाजपा नीत केंद्र सरकार की राजनीतिक नैतिकता व जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है।”
वाम दल ने कहा, “माकपा चाहती है केंद्र सरकार इस फैसले से सबक ले और विपक्षी पार्टियों द्वारा शासित राज्यों में केंद्रीय शासन लागू करने की अपनी बढ़ती निरंकुश प्रवृत्ति को विराम दे।”
भाजपा ने इन आरोपों पर साहस के साथ मोर्चा संभालते हुए कहा है कि संविधान पीठ का यह फैसला उसके लिए झटका नहीं है।
भाजपा नेता श्रीकांत शर्मा ने कहा, “अरुणाचल प्रदेश में संकट कांग्रेस के अंदरूनी मतभेदों के कारण था।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का एक गुट पार्टी नेतृत्व से अलग हो गया था। भाजपा का उससे कोई लेना-देना नहीं है।
संविधान पीठ ने राज्यपाल राजखोवा के निर्देश के उस तरीके को भी खारिज कर दिया, जिस तरह से उन्होंने राज्य विधानसभा का सत्र बुलाया और उसकी कार्यवाही संचालित की।
राजखोवा ने नबाम रेबिया को विधानसभा अध्यक्ष पद से हटाने से संबंधित एक प्रस्ताव को प्रथम कार्य के रूप में विचार करने की सदन को अनुमति दी थी और विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया था कि वह विधानसभा की संरचना के साथ छेड़छाड़ न करें, जबकि दलबदल कानून के तहत उनके पास इसका अधिकार था।
संविधान पीठ ने राज्यपाल की सहमति से लिए सभी निर्णयों और कदमों को रद्द कर दिया और उसे आधारहीन करार दिया।
न्यायमूर्ति मिश्रा और न्यायमूर्ति लोकुर ने न्यायमूर्ति केहर द्वारा सुनाए गए मूल फैसले पर सहमति जताने के पीछे अपने कारण बताए।
न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा कि विधानसभा उपाध्यक्ष नबाम रेबिया विधानसभा अध्यक्ष के उस निर्णय पर आपत्ति नहीं जता सकते थे, जिसके तहत विधानसभा अध्यक्ष ने 14 कांग्रेस विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया था। उन विधायकों ने तुकी सरकार को गिराने के लिए भाजपा के साथ हाथ मिला लिया था।