न्यूयार्क, 4 दिसम्बर (आईएएनएस)। अमेरिका में सर्वोच्च न्यायालय अगले हफ्ते उस मामले की सुनवाई करने जा रही है जिसमें कॉलेज और विश्वविद्यालयों में जाति के आधार पर दाखिले में आरक्षण दिया जाता है। इस प्रावधान का भारतीय मूल के छात्रों पर विपरीत असर पड़ता रहा है।
न्यूयार्क, 4 दिसम्बर (आईएएनएस)। अमेरिका में सर्वोच्च न्यायालय अगले हफ्ते उस मामले की सुनवाई करने जा रही है जिसमें कॉलेज और विश्वविद्यालयों में जाति के आधार पर दाखिले में आरक्षण दिया जाता है। इस प्रावधान का भारतीय मूल के छात्रों पर विपरीत असर पड़ता रहा है।
टेक्सास विश्वविद्यालय में जाति के आधार पर दाखिले को चुनौती दी गई है। विश्वविद्यालय का कहना है कि सामाजिक सुधार की दृष्टि से ऐसा किया जाता है। जबकि इसे एक श्वेत महिला ने इस आधार पर चुनौती दी है कि यह संविधान प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है।
विश्वविद्यालयों का कहना है कि ऐसा करना समाज में सुविधा से वंचित अफ्रीकी-अमेरिकी, लातिन अमेरिकी मूल के छात्रों और अमेरिका के मूल निवासियों की मदद करना है।
भारतीयों और अन्य एशियाइयों को आगे बढ़े हुए समुदाय के रूप में माना जाता है। इसलिए इन्हें आरक्षण के इस प्रावधान का खामियाजा श्वेत विद्यार्थियों से भी अधिक भुगतना पड़ता है।
अगर अदालत ने आरक्षण के खिलाफ फैसला दिया तो इससे भारतीय व अन्य एशियाई विद्यार्थियों को लाभ होगा क्योंकि तब उन्हें प्रतिभा के आधार पर प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में दाखिले के अधिक अवसर मिलेंगे।