वाशिंगटन, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतवंशी अमेरिकी चिकित्सकों की संस्था एसोसिएशन ऑफ अमेरिकन फिजीशियन ऑफ इंडियन ओरिजन (एएपीआई) ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित उस विधेयक का स्वागत किया है, जो 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गो के लिए सरकारी स्वास्थ्य बीमा, मेडिकेयर के लिए चिकित्सकों को किए जाने वाले पुनर्भुगतान प्रक्रिया को नया रूप प्रदान करेगा।
अगर सीनेट से इस विधेयक को मंजूरी मिल जाती है, तो यह विधेयक वर्तमान में प्रयोग में मौजूद टिकाऊ विकास दर (एसजीआर) फार्मूला समाप्त हो जाएगा। एसजीआर फार्मूला चिकित्सकों की सेवाओं के खर्च की उच्चतम सीमा निर्धारित करता है।
एएपीआई के अध्यक्ष डॉ. रवि जागीरदार ने कहा, “हम इस ऐतिहासिक विधेयक को पारित होने से बहुत खुश और अमेरिकी कांग्रेस के शुक्रगुजार हैं।” उन्होंने अमेरिकी सीनेट से यह विधेयक अविलंब पारित करने का आग्रह किया।
लगभग, 1,00,000 भारतवंशी अमेरिकी चिकित्सकों, शोधार्थियों और छात्रों वाले इस सबसे बड़े संगठन एएपीआईए के सदस्य कई सालों से एसजीआर फार्मूले को समाप्त करने की पैरवी कर रहे हैं।
मीडिया को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि एसजीआर विधेयक 26 मार्च को पारित हुआ है। उसी दिन एपीआई कैपिटल हिल पर अपना विधायी दिवस मना रही थीं। यह आयोजन अमेरिका में व्यापक चिकित्सक समुदाय के लिए अपनी आवाज बुलंद करने के लिए था।
अमेरिका की सहायक विदेश मंत्री निशा देसाई बिस्वाल ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने संबोधन में भारतवंशी अमेरिकी चिकित्सकों और भारत-अमेरिका की साझेदारी को बढ़ावा देने में समुदाय की भूमिका की प्रशंसा की थी।
उन्होंने कहा था, “एएपीआई यहां अमेरिका और भारत में कार्य करने वाला और भारत-अमेरिकी के संबधों में सुधार और विस्तार में सहयोग देने वाला जबरदस्त संगठन है।”
कई अमेरिकी सांसदों ने कड़ी मेहनत, रोगियों के लिए प्रतिबद्धता और अमेरिका के स्वास्थ्य देखभाल को हर किसी के लिए वहनीय, सुलभ और कुशल बनाने के अनवरत प्रयासों के लिए भारतवंशी चिकित्सकों की प्रशंसा की।
अमेरिकी कांग्रेस में इकलौती भारतवंशी अमेरिकी चिकित्सक एमी बेरा ने एक चिकित्सक के तौर पर प्रगति के खुद के अनुभव साझा किए।
उन्होंने कहा, “मैं चाहती हूं कि हम अपनी पीढ़ी को अगले स्तर पर ले जाएं और बहुत से अन्य भारतवंशी अमेरिकी कांग्रेस में निर्वाचित हों।”
जागीरदार ने कहा, “एएपीआई स्वास्थ्य देखभाल के कई महत्वपूर्ण मुद्दों को सामने लाने में एक बार फिर सफल रहा है, जिनका चिकित्सक समुदाय सामना कर रहा है।”