वाशिंगटन-आव्रजकों के मुद्दे पर फिल्म बनाने वाले भारतीय मूल के दो अमेरिकी फिल्मकारों का कहना है कि आव्रजन अमेरिका और भारत, दोनों के लिए बेहद जरूरी है। आव्रजकों का मुद्दा अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में बड़ा मुद्दा बन कर सामने आया है। कॉमेडी फिल्म ‘फॉर हियर ऑर टू गो?’ के लेखक-निर्माता ऋषि भिलावाडिकर ने आईएएनएस से कहा, “हमारा मानना है कि आव्रजन न केवल अमेरिका बल्कि भारत के लिए भी बेहद जरूरी है। भारतीय मूल के अमेरिकी देश के विकास में मुख्य भूमिका निभाते रहे हैं।”
‘फॉर हियर ऑर टू गो?’ की पृष्ठभूमि 2008 की मंदी है जिसमें आव्रजकों को निजी स्तर पर कई चुनौतियों से जूझना पड़ा था।
भिलावाडिकर ने कहा, “बतौर कलाकार हम आशा करते हैं कि ‘फॉर हियर ऑर टू गो?’ जैसी कहानी स्थिति को मानवीय नजरिए से समझने में मदद देगी और आव्रजन सुधार के मामले में तर्कसंगत कार्रवाई को प्रोत्साहित करेगी।”
फिल्म की निर्देशक सैन फ्रांसिस्को की रहने वाली रुचा हुमनाबडकर ने भिलवाडिकर की बात से सहमति जताई। उन्होंने कहा, “हम दिखाना चाहते हैं कि आव्रजन पर बहस लोगों और लोगों की जिंदगियों से जुड़ी हुई है। यह महज अंकों या नीतियों का मामला नहीं है। हम इस राजनैतिक मुद्दे को मानवीय चेहरा देना चाहते हैं। राष्ट्रपति पद के दावेदारों को निश्चित ही इस मामले में एक समग्र रुख अपनाना चाहिए ताकि दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ दिमाग अमेरिका की तरफ आकर्षित होते रहें।”
भारत में असहिष्णुता पर जारी बहस के बारे में हुमनाबडकर और भिलवाडिकर, दोनों ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इस बारे में कुछ कहने के लिए वे उपयुक्त हैं क्योंकि ये मसला उनके दैनिक जीवन का हिस्सा नहीं है।
लेकिन, भिलवाडिकर ने कहा कि शाहरुख खान और आमिर खान जैसे लोगों की बातों पर जिस तरह से प्रतिक्रिया दी गई, वह उनके निगाह से गुजरी है और ये प्रतिक्रियाएं अपनी बात कहने से कुछ ज्यादा ही कहती दिखती हैं।
हुमनाबडकर ने इससे सहमति जताई और कहा कि एक लोकतांत्रिक देश के लिए जरूरी है कि वह अपने धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने की हिफाजत करे। बात चाहे अमेरिका में आव्रजन पर बहस की हो या भारत में असहिष्णुता पर बहस की, हमें हर हाल में विविधता में एकता ढूंढनी होगी।