केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह द्वारा ‘द वायर’ वेब पोर्टल के खिलाफ दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में ‘द वायर’ ने अपनी याचिका उच्चतम न्यायालय से वापस ले ली है। उच्चतम न्यायालय ने गुजरात की ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि वो जल्द से जल्द इस मामले के ट्रायल को पूरा करें।
कोर्ट ने आजकल जिस तरह से पत्रकारिता की जा रही है, उस पर सवाल खड़े किए। अदालत ने इस बात पर आपत्ति जताई कि बिना उचित समय दिए लेख प्रकाशित कर दिए जाते हैं। ‘द वायर’ ने अपने बयान में कहा कि जय शाह के ख़िलाफ़ प्रकाशित किए गए लेख में जो कुछ भी लिखा है, उसे ट्रायल के दौरान सही साबित किया जाएगा और इसीलिए वे अपनी याचिका वापस ले रहे हैं।
इन टिप्पणियों के बीच सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इसको कम करके कहा जा रहा है कि समाचार पोर्टल जो कर रहे हैं वह पीत पत्रकारिता ही है। जब समाचार पोर्टल और उसके पत्रकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उनके द्वारा दायर अपील वापस लेने का अनुरोध किया तो पीठ ने कहा कि हम आपको वापस लेने की अनुमति क्यों दें। पीठ ने कहा कि सभ्य देश में किसी व्यक्ति को बेहद अल्प नोटिस देकर और जवाब की प्रतीक्षा किये बिना लेख प्रकाशित किये जा रहे हैं। पीठ ने कहा कि कैसे यह संस्कृति भारत में आई है। पीठ ने सिब्बल से कहा कि हमने बहुत ज्यादा झेला है। यह बहुत ही गंभीर विषय है।याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए पीठ ने कहा कि वह इस टिप्पणी के साथ मामले का निपटारा कर रही है कि ‘द वायर’ ने नोटिस दिया और प्रतिक्रिया मांगने के 12 घंटे के भीतर जवाब आने से पहले ही प्रकाशन करके शाह की छवि धूमिल की गई। पीठ ने बेहद संक्षिप्त नोटिस के बारे में कहा, ‘‘इस तरह की धमकी नहीं दी जानी चाहिये।
जब सिब्बल ने कहा कि समाचार पोर्टल और उसके पत्रकार मुकदमे का सामना करने को तैयार हैं और आदेश में इस तरह की टिप्पणी मुकदमे के दौरान उनके मामले को प्रभावित करेगी तो पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इन टिप्पणियों से मुकदमे के दौरान मामला नहीं प्रभावित होगा। सुनवाई पूरी करते हुए न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि हम बहुत सारी बातें कहना चाहते हैं, लेकिन हम यह नहीं कहेंगे। सिब्बल ने जवाब में कहा कि मैं भी कई बातें कहना चाहता हूं, लेकिन नहीं कहूंगा।
शाम में समाचार पोर्टल के संस्थापक संपादकों में से एक सिद्धार्थ वरदराजन ने कहाकि हमने न्यायालय से कहा कि हम अपील वापस लेकर मुकदमे का सामना करना चाहते हैं। पीठ के पास जय शाह पर ‘द वायर’ की खबर के गुण-दोष पर दोनों में से किसी भी पक्ष को सुनने का कोई अवसर नहीं था। इसके बावजूद न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति बी आर गवई ने इसे ‘पीत पत्रकारिता’ कहा।उन्होंने कहा कि मुकदमे में इन चीजों से लड़कर हम साक्ष्यों के जरिये साफ तौर पर साबित करेंगे कि हमने हर पत्रकारीय मानकों का पूरी सावधानी से पालन किया और हमने सिर्फ उसी चीज को प्रकाशित किया, जिसका हम बचाव कर सकते हैं।