एचपीएमसी ने पलम, स्ट्राबेरी, कीवी व लीची वाइन की सफलता के बाद अब संतरा व बुरांस के फूलों से वाइन बनाने का निर्णय लिया है। यह वाइन दिल के मरीजों के लिए भी लाभप्रद है।
संतरा व बुरांस वाइन का उत्पादन सुंदरनगर के जड़ोल प्रसंस्करण संयंत्र में होगा। एचपीएमसी पलम, स्ट्राबेरी, कीवी व लीची फ्लेवर की हर साल करीब 40 हजार बोतल का उत्पादन करता है। बाजार में वाइन की 750 मिलीलीटर की एक बोतल 280 रुपये में बिकती है।
संतरे का उत्पादन कांगड़ा जिले में भारी मात्रा में होता है। एचपीएमसी अब तक संतरे का जूस व स्कवैश बनाकर मार्केट में बेचता था। वाइन बनाने के निर्णय से संतरे की खपत और बढ़ेगी। संतरे से बनने वाली वाइन शीतल होती है जो पाचन क्रिया को मजबूत बनाती है।
बुरांस के फूल हिमालय के तराई वाले क्षेत्रों में जनवरी से मार्च तक पाए जाते हैं। इन फूलों में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। पाचक तत्वों से भरपूर बुरांस के फूलों का उपयोग लोग आम तौर पर चटनी व स्कवैश आदि बनाने में करते हैं।
बुरांस के फूलों का इस्तेमाल शरीर में सूजन के इलाज में किया जाता है। इसके अलावा हृदय रोग, मधुमेह, गुर्दे की बीमारी में भी इसका उपयोग होता है। रुटिन रक्तचाप नियंत्रण करने के अलावा कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करता है। ऐसे में दिल के मरीजों के लिए बुरांस से बनी वाइन काफी फायदेमंद है। बुरांस के फूल जंगलों से एकत्र कर एचपीएमसी को बेचने से कई लोगों को रोजगार मिलेगा। फलों से बनने वाली वाइन में अल्कोहल की मात्रा बहुत कम होती है। वाइन वैसे भी स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद मानी जाती है। शुरुआती तौर पर संतरा व बुरांस वाइन का एचपीएमसी कम मात्रा में उत्पादन करेगा।