भोपाल– प्रदेश की नई रेत नीति अगले साल आएगी। इसके प्रारूप पर मंथन शुरू हो गया है। सरकार तीन की बजाए पांच वर्ष के लिए ठेका दे सकती है। जानकारों का मानना है कि इससे ठेकेदारों को दो साल ज्यादा काम करने का मौका मिलेगा, तो रेत के दाम नियंत्रित रहेंगे। वहीं जिला स्तर पर छोटे समूह बनाकर खदानें नीलाम करने की तैयारी है।
रेत सहित अन्य खनिजों के उत्खनन के लिए नदी के आकार, हर साल जमा होने वाली रेत की मात्रा, रेत निकालने से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव, क्षेत्र की जनसंख्या सहित 32 बिंदुओं पर सर्वे रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जिसे सार्वजनिक कर दावे-आपत्ति मांगे जाएंगे। इस रिपोर्ट के आधार पर उत्खनन की कार्ययोजना तैयार की जाएगी, जिसका अनुमोदन राज्य पर्यावरण मूल्यांकन समिति (स्टेट इन्वायरमेंट अप्रेजल कमेटी) करेगी।
वर्ष 2023 में प्रदेश में नई रेत नीति लागू होनी है। जिसकी तैयारी शुरू हो गई है। इस बार तहसील स्तर पर रेत खदानों के समूह बनाकर नीलामी की जाएगी। नीलामी स्थानीय स्तर पर होगी। जिसके पूरे अधिकार कलेक्टरों को रहेंगे। वे पारदर्शी प्रक्रिया से खदानें नीलाम करेंगे।
वर्षाकाल के बाद कलेक्टर रेत सहित जिले में मौजूद अन्य खनिजों के भंडारण की स्थिति का आकलन शुरू कर देंगे। इसके आधार पर रायल्टी की दरें तय की जाएंगी। जिन खदानों को पहले ठेकेदारों ने वापस किया है उन्हें भी जून 2023 तक के लिए ही ठेके पर दिया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि कमल नाथ सरकार ने वर्ष 2019 में रेत नीति बनाई थी, जिसमें जिला स्तर पर खदानों का समूह बनाकर नीलामी की गई थी। कम समय के लिए खदान मिलने के कारण ठेकेदारों ने रेत के दाम बढ़ाकर रखे। ताकि रायल्टी की राशि निकालने के साथ अच्छी बचत भी हो सके।
14 जिलों की खदानें नौ माह के ठेके पर
बैतूल, नरसिंहपुर और ग्वालियर जिले की रेत खदानें हाल ही में फिर से नीलाम की गई हैं। इनका ठेका नौ माह के लिए दिया गया है। जबकि अशोकनगर, रतलाम, गुना, आलीराजपुर, मंदसौर, आगर-मालवा और शाजापुर जिले की खदानें नीलाम की जा रही हैं। इनकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जबकि सिवनी, डिंडौरी, बुरहानपुर की खदानों की नीलामी के लिए जल्द निविदा प्रक्रिया शुरू की जाएगी।